हेरोल्ड पिंटर: अब्सर्ड नाटकों के उस्ताद
हेरोल्ड पिंटर: अब्सर्ड नाटकों के उस्ताद
हेरोल्ड पिंटर नोबेल पुरस्कार विजेता हैं। 20वीं सदी के ब्रिटिश नाटक जगत में उनकी एक अलग पहचान है। उन्होंने 'थिएटर ऑफ़ द एब्सर्ड' में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। 'थिएटर ऑफ़ द एब्सर्ड' एक ऐसा आंदोलन है जिसने कथानक, चरित्र और संवाद की पारंपरिक धारणाओं को चुनौती दी। पिंटर के नाटक न केवल बेतुके हैं, बल्कि अक्सर खौफनाक भी होते हैं। वे खतरे, अस्पष्टता और अनकही धमकियों का एक अनोखा माहौल रचते हैं। उनकी रचनाएँ हमें रोज़मर्रा की बातचीत की सतह के नीचे छिपी असहज सच्चाइयों का सामना करने के लिए मजबूर करती हैं। भारत के जीवंत रंगमंच परिदृश्य में भी उनके प्रभाव को रेखांकित किया जा सकता है।
पिंटर के जीवन की एक झलक:
हेरोल्ड पिंटर का जन्म 1930 में लंदन के हैकनी में हुआ था। उनका जन्म एक यहूदी परिवार में हुआ था। द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान यहूदी-विरोधी भावना के उनके शुरुआती अनुभवों ने दुनिया के बारे में उनकी धारणा को गहराई से प्रभावित किया। उन्हें लगता था कि यह दुनिया रहने के लिए सुरक्षित जगह नहीं है, बल्कि यह एक बहुत ही खतरनाक जगह है। उन्होंने नाटक लेखन की ओर रुख करने से पहले डेविड बैरन नाम से एक अभिनेता के रूप में अपना करियर शुरू किया। पिंटर एक उत्साही राजनीतिक कार्यकर्ता भी थे। उन्होंने अक्सर अपने मंच का इस्तेमाल अन्याय और उत्पीड़न के खिलाफ आवाज उठाने के लिए किया। अपने पूरे जीवन में उन्होंने मानवाधिकारों के प्रति अपनी प्रतिबद्धता दिखाई। 2008 में उनका निधन हो गया और वे अपने पीछे असाधारण कृतियों का भंडार छोड़ गए।
पिंटर के नाटक और प्रमुख विषय:
पिंटर के लोकप्रिय नाटक हैं: द रूम (1957), द बर्थडे पार्टी (1958), द केयरटेकर (1960), द होमकमिंग (1964) और बेट्रेअल (1978)। इन नाटकों के प्रमुख विषय हैं: ख़तरा और भय, शक्ति और प्रभुत्व, पहचान और स्मृति, संचार और गलत संचार, क्षेत्र और अपनापन आदि। द रूम आसन्न ख़तरे की भावना का परिचय देता है। द बर्थडे पार्टी में एक बोर्डिंग हाउस में रहने वाले व्यक्ति की कहानी है, जिसके जन्मदिन पर दो ख़तरनाक अजनबी आते हैं। द केयरटेकर में दो भाइयों के बीच शक्ति, पहचान और प्रभुत्व के संघर्ष के विषयों की पड़ताल की गई है। द होमकमिंग में पारिवारिक गतिशीलता, यौन राजनीति और एक असंतुलित घराने में सत्ता के दावे की गहराई से पड़ताल की गई है। बेट्रेअल में विवाहेतर संबंधों की गहराई से पड़ताल की गई है।
पिंटर की चरित्र-चित्रण कला:
पिंटर के पात्र अक्सर रहस्यमय होते हैं। उन्हें अक्सर स्पष्ट व्याख्या के बजाय दूसरों के साथ उनके संबंधों से परिभाषित किया जाता है। उनकी पहचान परिवर्तनशील और विवादास्पद हो सकती हैं। वे अक्सर एक-दूसरे की यादों या कथित वास्तविकताओं को चुनौती देते हैं। पिंटर अपने पात्रों की जटिलताओं और छिपी गहराइयों को उजागर करने के लिए संवाद और मौन का कुशलता से उपयोग करते हैं। वह यह दिखाने का प्रयास करते हैं कि वे कैसे हेरफेर करते हैं, डराते हैं और खुद को बचाते हैं। एक पात्र अक्सर दूसरे पर हावी होने की कोशिश करता है, जिससे एक निरंतर शक्ति संघर्ष होता है जो उनके रिश्ते को परिभाषित करता है।
पिंटर की कथानक निर्माण कला:
पिंटर के कथानक प्रसिद्ध रूप से अरैखिक और अस्पष्ट होते हैं। पारंपरिक नाटकों के विपरीत, उनकी रचनाओं में अक्सर स्पष्ट समाधान का अभाव होता है। उनमें रहस्यमयी आगमन होते हैं जो स्थिर स्थिति को बिगाड़ देते हैं। वे स्पष्ट क्रिया के बजाय सुझाव और निहितार्थ के माध्यम से तनाव पैदा करते हैं। पिंटर के कथानक दर्शकों के मन में अनुत्तरित प्रश्न छोड़ जाते हैं। वे उन्हें अनिश्चितता से जूझने और अपने निष्कर्ष निकालने के लिए मजबूर करते हैं। उनके कथानक अक्सर संवाद के उप-पाठ और पात्रों के बीच बदलती शक्ति गतिशीलता से उभरते हैं।
पिंटर की लेखन शैली:
पिंटर की शैली की विशेषता अक्सर खंडित भाषा होती है। यह दोहरावदार होती है। यह अनर्गल बातों से भरी होती है। उनके संवादों को 'पिंटरेस्क संवाद' कहा जाता है। उनके नाटकों में अनकहे विचार, भावनाएँ या खतरे हवा में तैरते रहते हैं, जो अत्यधिक तनाव और अर्थ पैदा करते हैं। इन्हें 'पिंटर विराम' के रूप में जाना जाता है। पिंटर के नाटकों का अधिकांश वास्तविक अर्थ संवाद की सतह के नीचे छिपा होता है। पिंटर जानबूझकर स्पष्ट व्याख्याओं से बचते हैं। यह उनके नाटकों को बेहद आकर्षक और चुनौतीपूर्ण बनाता है। वे साधारण बातचीत में भी एक खौफनाक ख़तरा भर देते हैं।
निष्कर्ष:
हेरोल्ड पिंटर निस्संदेह एक महान नाटककार हैं। उन्होंने नाटक के क्षेत्र में क्रांति ला दी। उन्होंने रंगमंच की नई परिभाषा गढ़ी। उन्होंने पारंपरिक नाट्य परंपराओं को नकार दिया। उन्होंने दर्शकों को शक्ति, संचार और मानवीय असुरक्षा की चिन्ताजनक वास्तविकताओं का सामना करने के लिए प्रेरित किया। उनके द्वारा रचित ख़तरनाक घटनाओं की खोज, मौन का उनका शानदार प्रयोग और उनके अस्पष्ट कथानक आज भी नाटककारों को प्रभावित करते हैं।