बेन जॉनसन: हास्य के उस्ताद
बेन जॉनसन: हास्य के उस्ताद
बेन जॉनसन अंग्रेजी पुनर्जागरण के एक बेहद लोकप्रिय व्यक्तित्व हैं। हालाँकि वे शेक्सपियर की परछाईं में खड़े हैं लेकिन साथ ही वे अपनी अनूठी प्रतिभा से भी चमकते हैं। उन्होंने व्यंग्य और सामाजिक टिप्पणी के उस्ताद के रूप में अपनी पहचान बनाई। उन्होंने ऐसे हास्य नाटक रचे जो अपने युग की मूर्खताओं और बुराइयों का भेद खोलते थे। वे न केवल एक नाटककार थे बल्कि एक साहित्यिक आलोचक, कवि और एक महान विद्वान भी थे। उन्होंने अंग्रेजी नाटक को शास्त्रीय सिद्धांतों पर आधारित करके उसकी प्रतिष्ठा को ऊँचा उठाने का प्रयास किया।
मूर्खताओं से भरी इस दुनिया में बेन जॉनसन के नाटक हमें अपनी कमियों और जुनून पर हँसने की याद दिलाते हैं।
बेन जॉनसन का जन्म 1572 में लंदन में हुआ था। उन्होंने वेस्टमिंस्टर स्कूल से शास्त्रीय शिक्षा प्राप्त की। बाद में उन्होंने एक राजमिस्त्री के रूप में काम किया, लेकिन उनका असली लक्ष्य साहित्य था। जॉनसन का जीवन प्रसिद्धि और बदनामी दोनों से भरा रहा। उन्होंने एक सैनिक के रूप में सेवा की। एक द्वंद्वयुद्ध में एक साथी अभिनेता की हत्या के लिए उन्हें जेल हुई और एंग्लिकन चर्च में लौटने से पहले उन्होंने कैथोलिक धर्म अपना लिया। वे शेक्सपियर के मित्र थे। उनकी प्रतिभा ने उन्हें लंदन के साहित्यिक जगत में एक लोकप्रिय व्यक्ति बना दिया। वह अक्सर शराबखानों में जाया करते थे। युवा लेखकों ने उनकी खूब प्रशंसा की। उन्हें इंग्लैंड का पहला Poet Laureate भी नियुक्त किया गया था।
नाटक में जॉनसन का सबसे महत्वपूर्ण योगदान 'हास्यों के हास्य' की उनकी अवधारणा है। प्राचीन और मध्यकालीन चिकित्सा सिद्धांत से जॉनसन को पता चला कि शरीर में चार तरल पदार्थ या द्रव्य होते हैं। ये तरल पदार्थ हैं - रक्त, पीला पित्त, काला पित्त और कफ। ये किसी व्यक्ति के स्वभाव को नियंत्रित करते हैं। जॉनसन ने इसी विचार को अपने चरित्र-चित्रण के आधार के रूप में इस्तेमाल किया।
जॉनसन के नाटकों में, 'हास्य' व्यक्तित्व की एक निश्चित विशिष्टता है। यह पात्रों के कार्यों को नियंत्रित करता है और दुनिया के प्रति उनके दृष्टिकोण को विकृत करता है। उदाहरण के लिए, कोई पात्र लालच या ईर्ष्या से इतना ग्रस्त हो सकता है कि यह एक जुनून उसके पूरे व्यक्तित्व को परिभाषित कर सकता है। जॉनसन इस युक्ति का उपयोग यह दिखाने के लिए करते हैं कि कैसे एक ही दुर्गुण लोगों को बेतुका व्यवहार करने पर मजबूर कर सकता है। इस युक्ति की सहायता से वे मानवीय मूर्खताओं पर व्यंग्य करते हैं।
जॉनसन ने कई नाटकों की रचना की है। उनमें से कुछ अंग्रेजी हास्य की उत्कृष्ट कृतियाँ मानी जाती हैं। एवरी मैन इन हिज़ ह्यूमर (1598), वोल्पोन, ऑर द फॉक्स (1606), द अलकेमिस्ट (1610) और बार्थोलोम्यू फेयर (1614) उनकी सबसे लोकप्रिय रचनाएँ हैं।
एवरी मैन इन हिज़ ह्यूमर ने उनके हास्य सिद्धांत का परिचय दिया और उन्हें व्यापक प्रशंसा मिली। यह विभिन्न लंदनवासियों के दिखावे और मूर्खताओं पर व्यंग्य करता है। वोल्पोन, ऑर द फॉक्स लालच और चालाकी पर एक तीखा व्यंग्य है। द अलकेमिस्ट को अक्सर उनकी सर्वश्रेष्ठ कृति माना जाता है। यह नाटक बदमाशों के एक समूह के बारे में एक शानदार हास्य नाटक है। ये बदमाश प्लेग के दौरान एक नकली कीमियागिरी का धंधा रचते हैं और मासूम लंदनवासियों को ठगते हैं। बार्थोलोम्यू मेला एक जीवंत नाटक है जो एक लोकप्रिय मेले में लंदन के निम्न वर्ग का एक विहंगम दृश्य प्रस्तुत करता है। यह प्यूरिटन और अन्य सामाजिक वर्गों पर व्यंग्य करता है।
जॉनसन के नाटक केवल हास्यप्रद ही नहीं हैं; वे गहन बौद्धिक और नैतिक भी हैं। उनकी रचनाओं का केंद्रीय विषय दुर्गुणों और मूर्खताओं का पर्दाफ़ाश और सुधार है। वे लालच, पाखंड, वासना और बौद्धिक दिखावे जैसी मानवीय कमियों का मज़ाक उड़ाने के लिए हास्य का प्रयोग करते हैं। उनके पात्र जटिल नहीं हैं। वे मनोवैज्ञानिक रूप से गहरे व्यक्तित्व हैं। वे प्रकार या व्यंग्यचित्र हैं। जॉनसन का प्रत्येक पात्र एक विशिष्ट हास्य या दुर्गुण का प्रतिनिधित्व करता है। उनके नाम अक्सर उनके व्यक्तित्व को प्रकट करते हैं। इस प्रकार का चरित्र-चित्रण व्यंग्य को स्पष्ट और प्रत्यक्ष बनाता है।
जॉनसन के कथानक उनकी शिल्पकला का प्रमाण हैं। ये कथानक तार्किक रूप से निर्मित हैं। अपने कथानक निर्माण में जॉनसन ने समय, स्थान और क्रिया की शास्त्रीय एकता का अनुसरण किया है। वे कारण-और-परिणाम संरचना का प्रयोग करते हैं। यहाँ एक घटना सीधे दूसरी घटना की ओर ले जाती है। दर्शकों के सामने एक संतोषजनक समाधान प्रस्तुत किया जाता है।
उनकी लेखन शैली अपनी सटीकता, बुद्धि और विद्वत्ता के लिए जानी जाती है। जॉनसन गद्य और पद्य दोनों में पारंगत थे। वे विशद और यथार्थवादी संवादों का प्रयोग करते हैं। वे एक सच्चे विद्वान थे। उनके नाटक शास्त्रीय संकेतों और विद्वत्तापूर्ण संदर्भों से भरे हैं।
जॉनसन एक सूक्ष्म कलाकार थे। उन्होंने अपनी कृतियों को एक वास्तुकार की सूक्ष्मता और एक दार्शनिक के नैतिक उद्देश्य के साथ गढ़ा। उनके नाटक न केवल मनोरंजन करते हैं, बल्कि शिक्षा भी प्रदान करते हैं। अंग्रेजी हास्य पर उनका प्रभाव निर्विवाद है। उन्होंने नाटककारों की कई पीढ़ियों को व्यंग्य की शक्ति सिखाई।